सोने की जरुरत नही लगती हमें,
आपके ख्वाबों की ज़्यादा है I
जब खून है लाल
तोह प्यार से डरने में क्या ख़राबी,
कुछ कैसे है हाल।
तुझे नील में डूब देख,
यह मन कहता है की तुझे लगालूँ गले से।
तुम दूर कितनी नज़दीक बुलाये ये हवाएँ।
तेरे वो गुलाबी गाल देख
मैं यही सोचूँ की वो कब मेरे होठों को छूँए।
तेरा वो हरा कुर्ता यही कहे मुझसे की तेरे साथ बैठूँ और
नज़रें लड़ाऊँ ताकी ख्वाबों की जरुरत नही।
तेरी समर्द्ध शैली (rich living ) को मैं अपनालु और मैं सिर्फ तेरा और तेरा बन जाऊं ।
तू है सफेद जैसे
साफ सफेद जैसी सची
पर मै सिर्फ तेरा हू तेरा उदार हूँ….. सिर्फ़ तेरा उदार हूँ
Author: Dhruv Bhandari
Editor: Abeer Tiwari